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॥ શ્રી સ્વામિનારાયણો વિજયતે ॥
॥ સત્સંગદીક્ષા ॥
MAHANT CHALLENGE |
स्वामिनारायणः
સ્વામિનારાયણઃ
Swāminārāyaṇah
સ્વામિનારાયણ ભગવાન એટલે કે
Swāminārāyaṇ Bhagwān eṭale ke
May Swaminarayan Bhagwan,
1. Here, Swaminarayan Bhagwan and Akshar-Purushottam Maharaj are synonyms and refer to the one supreme entity – Parabrahman, Paramatma.
भगवान श्रीस्वामिनारायण अर्थात् साक्षात् श्रीअक्षरपुरुषोत्तम महाराज सभी को परम शांति, आनंद और सुख प्रदान करें। (१)
स्वामिनारायण भगवान म्हणजे साक्षात अक्षरपुरुषोत्तम महाराज यांनी सर्वांना परम शांती, आनंद आणि सुख द्यावे. (1)
देहोऽयं साधनं
દેહોઽયં સાધનં
Deho’yam sādhanam
આ દેહ મુક્તિનું સાધન છે,
Ā deh muktinu sādhan chhe,
This body is a means for
यह शरीर मुक्ति का साधन है, केवल भोग का नहीं। दुर्लभ और नश्वर यह शरीर बार बार नहीं मिलता। (२)
हा देह मुक्तीचे साधन आहे, केवळ भोग भोगण्याचे साधन नाही. दुर्लभ आणि नाशवंत असा हा देह वारंवार मिळत नाही. (2)
लौकिको
લૌકિકો
Laukiko
લૌકિક વ્યવહાર તો
Laukik vyavahār to
Personal and family activities
लौकिक व्यवहार तो शरीर के निर्वाह के लिए है। वह इस मनुष्य जन्म का परम लक्ष्य नहीं है। (३)
लौकिक व्यवहार तर देहाच्या निर्वाहासाठी आहे. ते या मनुष्य जन्माचे परम लक्ष्य नाही. (3)
नाशाय
નાશાય
Nāshāya
સર્વ દોષોને ટાળવા,
Sarva doṣhone ṭāḷavā,
This body has been received to
2. See verses 8–9 for a definition of ‘satsang.’
सभी दोषों के नाश के लिए, ब्रह्मस्थिति पाने एवं भगवान की भक्ति करने के लिए यह शरीर प्राप्त हुआ है। ये सब कुछ सत्संग करने से अवश्य प्राप्त होता है। इसलिए मुमुक्षुओं को सदैव सत्संग करना चाहिए। (४-५)
सर्व दोष टाळण्यासाठी, ब्रह्मस्थिती प्राप्त करण्यासाठी तसेच भगवंतांची भक्ती करण्यासाठी हा देह मिळालेला आहे. हे सर्व सत्संग केल्याने अवश्य प्राप्त होते म्हणून मुमुक्षूंनी सदैव सत्संग करावा. (4-5)
सर्वमिदं हि
સર્વમિદં હિ
Sarvam idam hi
સર્વ દોષોને ટાળવા, બ્રહ્મસ્થિતિને પામવા અને ભગવાનની ભક્તિ કરવા આ દેહ મળ્યો છે. આ બધું
Sarva doṣhone ṭāḷavā, brahma-sthitine pāmavā ane Bhagwānnī bhakti karavā ā deh maḷyo chhe. Ā badhu
This body has been received to eradicate all flaws, attain the brāhmic state and offer devotion to Bhagwan. All this is certainly
2. See verses 8–9 for a definition of ‘satsang.’
सभी दोषों के नाश के लिए, ब्रह्मस्थिति पाने एवं भगवान की भक्ति करने के लिए यह शरीर प्राप्त हुआ है। ये सब कुछ सत्संग करने से अवश्य प्राप्त होता है। इसलिए मुमुक्षुओं को सदैव सत्संग करना चाहिए। (४-५)
सर्व दोष टाळण्यासाठी, ब्रह्मस्थिती प्राप्त करण्यासाठी तसेच भगवंतांची भक्ती करण्यासाठी हा देह मिळालेला आहे. हे सर्व सत्संग केल्याने अवश्य प्राप्त होते म्हणून मुमुक्षूंनी सदैव सत्संग करावा. (4-5)