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॥ શ્રી સ્વામિનારાયણો વિજયતે ॥
॥ સત્સંગદીક્ષા ॥
परिशिष्ट
सूर्यग्रहण तथा चन्द्रग्रहण के अवसर पर पालन करने योग्य आवश्यक सूचनाएँ
१. ग्रहण के आरंभिक समय को स्पर्श कहा जाता है। ग्रहण की समाप्ति काल को मोक्ष कहा जाता है।
२. स्पर्श से पूर्व कुछ समय तक खानपान के नियमों का पालन अति आवश्यक होता है। इस समय को वेध कहा जाता है। सूर्यग्रहण के स्पर्श से पूर्र १२ घंटों एवं चंद्रग्रहण के स्पर्श से पूर्र ९ घंटों तक वेध लगता है। रोगी, वृद्ध एवं बालकों के लिए २ घंटे और २४ मिनट का वेध कहा गया है। वेध के दौरान खानपान का संपूर्ण परित्याग करें। वेध के दौरान केवल पानी पी सकते हैं। ग्रहण के दौरान तो पानी भी सर्वथा निषिद्ध है।
३. ग्रहण के स्पर्श से लेकर मोक्ष तक एक स्थान पर बैठकर भजन स्मरण करने का शास्त्रोक्त विधान है।
४. ग्रहण के दौरान सूती वस्त्रों का स्पर्श पूर्णतया वर्जित है।
५. ग्रहण के मोक्ष के पश्चात् सवस्त्र स्नान करके दान करने का शास्त्रोक्त विधान है।
जन्म तथा मरण के अवसर पर पालन करने योग्य सूतक और मृतक विधियाँ
सगे-संबंधियों के जन्म तथा मरण के अवसर पर आवश्यक पालन करने योग्य सूतक एवं मृतक विधियों के दौरान वस्त्र सहित स्नान करने के पश्चात् भगवान की भक्ति, मंदिर में देवदर्शन, सत्संग, कथा-श्रवण, मालाजाप, नित्यपूजा, आरती, परिक्रमा आदि भक्ति संबंधी क्रियाओं में किसी भी प्रकार का दोष नहीं है।