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॥ શ્રી સ્વામિનારાયણો વિજયતે ॥
॥ સત્સંગદીક્ષા ॥
SHASTRIJI/GUNATIT CHALLENGE |
परमात्मपरब्रह्म-
પરમાત્મપરબ્રહ્મ-
Paramātma-Parabrahma-
પરમાત્મા પરબ્રહ્મ સ્વામિનારાયણ
Paramātmā Parabrahma Swāminārāyaṇ
With discretion, one should always keep the paksh of
परमात्मा परब्रह्म भगवान श्रीस्वामिनारायण, अक्षरब्रह्मस्वरूप गुणातीत गुरु, उनके द्वारा प्रदान किए गए दिव्य सिद्धांत एवं उनके आश्रित भक्तों का सदैव विवेकसहित पक्ष रखें। (१४१-१४२)
परमात्मा परब्रह्म स्वामिनारायण भगवान, अक्षरब्रह्मस्वरूप गुणातीत गुरू यांनी दिलेले दिव्य सिद्धांत तथा त्यांच्या आश्रित भक्तांचा विवेकपूर्वक सदैव पक्ष ठेवावा. (141-142)
तदर्पितस्य
તદર્પિતસ્ય
Tad-arpitasya
પરમાત્મા પરબ્રહ્મ સ્વામિનારાયણ ભગવાન, અક્ષરબ્રહ્મસ્વરૂપ ગુણાતીત ગુરુ,
Paramātmā Parabrahma Swāminārāyaṇ Bhagwān, Akṣharbrahma-swarūp guṇātīt guru,
With discretion, one should always keep the paksh of Paramatma Parabrahman Swaminarayan Bhagwan, the Aksharbrahman Gunatit guru,
परमात्मा परब्रह्म भगवान श्रीस्वामिनारायण, अक्षरब्रह्मस्वरूप गुणातीत गुरु, उनके द्वारा प्रदान किए गए दिव्य सिद्धांत एवं उनके आश्रित भक्तों का सदैव विवेकसहित पक्ष रखें। (१४१-१४२)
परमात्मा परब्रह्म स्वामिनारायण भगवान, अक्षरब्रह्मस्वरूप गुणातीत गुरू यांनी दिलेले दिव्य सिद्धांत तथा त्यांच्या आश्रित भक्तांचा विवेकपूर्वक सदैव पक्ष ठेवावा. (141-142)
आज्ञां भगवतो
આજ્ઞાં ભગવતો
Āgnām Bhagavato
ભગવાન અને બ્રહ્મસ્વરૂપ ગુરુની આજ્ઞાનું
Bhagwān ane brahmaswarūp gurunī āgnānu
One should always obey the commands of
भगवान एवं ब्रह्मस्वरूप गुरु की आज्ञा का सदैव पालन करें। उनकी अनुवृत्ति (रुचि) जानकर उसका दृढता से अनुसरण करें। आलस्य आदि का सर्वथा परित्याग करके उनकी आज्ञा का पालन तुरंत करें। सदा आनंद, उत्साह एवं महिमा के साथ उन्हें प्रसन्न करने के भाव से आज्ञा का पालन करें। (१४३-१४४)
भगवंत आणि ब्रह्मस्वरूप गुरूंच्या आज्ञेचे सदैव पालन करावे. त्यांच्या अनुवृत्तिला दृढपणे अनुसरावे. त्यांची आज्ञा आळस वगैरे सोडून पाळावी, तत्काळ पाळावी; सदैव आनंद, उत्साह आणि महिम्यासह त्यांना प्रसन्न करण्याच्या भावनेने पाळावी. (143-144)
तदाज्ञां पालयेत्
તદાજ્ઞાં પાલયેત્
Tad-āgnām pālayet
ભગવાન અને બ્રહ્મસ્વરૂપ ગુરુની આજ્ઞાનું સદાય પાલન કરવું. તેમની અનુવૃત્તિ જાણીને તેને દૃઢપણે અનુસરવું. તેમની આજ્ઞા આળસ
Bhagwān ane brahmaswarūp gurunī āgnānu sadāy pālan karavu. Temanī anuvṛutti jāṇīne tene dṛuḍhapaṇe anusaravu. Temanī āgnā āḷas
One should always obey the commands of Bhagwan and the Brahmaswarup guru. One should realize their inner wishes and firmly abide by them. Their instructions should be followed without
भगवान एवं ब्रह्मस्वरूप गुरु की आज्ञा का सदैव पालन करें। उनकी अनुवृत्ति (रुचि) जानकर उसका दृढता से अनुसरण करें। आलस्य आदि का सर्वथा परित्याग करके उनकी आज्ञा का पालन तुरंत करें। सदा आनंद, उत्साह एवं महिमा के साथ उन्हें प्रसन्न करने के भाव से आज्ञा का पालन करें। (१४३-१४४)
भगवंत आणि ब्रह्मस्वरूप गुरूंच्या आज्ञेचे सदैव पालन करावे. त्यांच्या अनुवृत्तिला दृढपणे अनुसरावे. त्यांची आज्ञा आळस वगैरे सोडून पाळावी, तत्काळ पाळावी; सदैव आनंद, उत्साह आणि महिम्यासह त्यांना प्रसन्न करण्याच्या भावनेने पाळावी. (143-144)
अन्तर्दृष्टिश्च
અન્તર્દૃષ્ટિશ્ચ
Antar-dṛuṣhṭish-cha
પ્રતિદિન સ્થિર ચિત્તે
Pratidin sthir chitte
With a composed mind, one should
प्रतिदिन स्थिर चित्त से अंतर्दृष्टि करें कि मैं इस लोक में क्या करने आया हूँ? और क्या कर रहा हूँ? (१४५)
प्रतिदिन स्थिर चित्ताने अंतर्दृष्टी करावी की मी या लोकात काय करण्यासाठी आलो आहे? आणि काय करत आहे? (145)