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संस्कृत (देवनागरी लीपी)
સંસ્કૃત (ગુજરાતી લીપી)
Sanskṛuta (Transliteration)
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॥ શ્રી સ્વામિનારાયણો વિજયતે ॥
॥ સત્સંગદીક્ષા ॥
SHASTRIJI/GUNATIT CHALLENGE |
गुरवश्च
ગુરવશ્ચ
Guravash-cha
પરમાત્મા પરબ્રહ્મ સ્વામિનારાયણ ભગવાને અક્ષરપુરુષોત્તમ સિદ્ધાંતની સ્થાપના કરી અને ગુણાતીત ગુરુઓએ
Paramātmā Parabrahma Swāminārāyaṇ Bhagwāne Akṣhar-Puruṣhottam siddhāntnī sthāpanā karī ane guṇātīt guruoe
The Akshar-Purushottam siddhānt was established by Paramatma Parabrahman Swaminarayan Bhagwan and spread by
परमात्मा परब्रह्म भगवान श्रीस्वामिनारायण ने अक्षरपुरुषोत्तम सिद्धांत की स्थापना की तथा गुणातीत गुरुओं ने उसका प्रवर्तन किया। उस सिद्धांत के अनुसार इस शास्त्र की रचना की है। (२९५-२९६)
परमात्मा परब्रह्म स्वामिनारायण भगवंतांनी अक्षरपुरुषोत्तम सिद्धांताची स्थापना केली आणि गुणातीत गुरूंनी त्याचे प्रवर्तन केले. त्या सिद्धांतानुसार हा ग्रंथ रचला आहे. (295-296)
कृपयैवा
કૃપયૈવા
Kṛupayaivā
પરબ્રહ્મ દયાળુ સ્વામિનારાયણ ભગવાન કૃપાએ કરીને જ
Parabrahma dayāḷu Swāminārāyaṇ Bhagwān kṛupāe karīne ja
To grant moksha to the mumukshus,
परब्रह्म दयालु भगवान श्रीस्वामिनारायण केवल कृपा करके मुमुक्षुओं के मोक्ष के लिए इस लोक में अवतीर्ण हुए। उन्होंने सकल आश्रित भक्तों के योगक्षेम का वहन किया और इहलौकिक तथा पारलौकिक, दोनों प्रकार का कल्याण किया। (२९७-२९८)
परब्रह्म दयाळू स्वामिनारायण भगवंत कृपा करूनच मुमुक्षूंच्या मोक्षासाठी या लोकात अवतरले. सर्व आश्रित भक्तांच्या योगक्षेमाची काळजी घेतली व लोक तथा परलोक अशा दोन्ही प्रकारांचे त्यांनी कल्याण केले. (297-298)
सकलाऽऽश्रित
સકલાઽઽશ્રિત
Sakalā’shrita-
પરબ્રહ્મ દયાળુ સ્વામિનારાયણ ભગવાન કૃપાએ કરીને જ મુમુક્ષુઓના મોક્ષ માટે આ લોકમાં અવતર્યા. સકળ આશ્રિત
Parabrahma dayāḷu Swāminārāyaṇ Bhagwān kṛupāe karīne ja mumukṣhuonā mokṣha māṭe ā lokmā avataryā. Sakaḷ āshrit
To grant moksha to the mumukshus, the compassionate Parabrahman Swaminarayan Bhagwan manifested on this earth out of sheer grace. For all devotees
परब्रह्म दयालु भगवान श्रीस्वामिनारायण केवल कृपा करके मुमुक्षुओं के मोक्ष के लिए इस लोक में अवतीर्ण हुए। उन्होंने सकल आश्रित भक्तों के योगक्षेम का वहन किया और इहलौकिक तथा पारलौकिक, दोनों प्रकार का कल्याण किया। (२९७-२९८)
परब्रह्म दयाळू स्वामिनारायण भगवंत कृपा करूनच मुमुक्षूंच्या मोक्षासाठी या लोकात अवतरले. सर्व आश्रित भक्तांच्या योगक्षेमाची काळजी घेतली व लोक तथा परलोक अशा दोन्ही प्रकारांचे त्यांनी कल्याण केले. (297-298)
सर्वत्रैवाऽभि
સર્વત્રૈવાઽભિ
Sarvatraivā’bhi
સર્વત્ર પરમાત્મા પરબ્રહ્મ
Sarvatra Paramātmā Parabrahma
May the divine,
परमात्मा परब्रह्म भगवान श्रीस्वामिनारायण के दिव्य कृपाशिष सदा सर्वत्र बरसते रहें। (२९९)
सर्वत्र परमात्मा परब्रह्म स्वामिनारायण भगवंतांचे दिव्य कृपाशिष सदैव वर्षावे. (299)