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॥ શ્રી સ્વામિનારાયણો વિજયતે ॥
॥ સત્સંગદીક્ષા ॥
YOGI CHALLENGE |
सर्वं दुर्व्यसनं
સર્વં દુર્વ્યસનં
Sarvam dur-vyasanam
સર્વ સત્સંગીઓએ સર્વે દુર્વ્યસનોનો
Sarva satsangīoe sarve durvyasanono
All satsangis should always renounce
सभी सत्संगी हर प्रकार के दुर्व्यसनों का सदैव त्याग करें। क्योंकि व्यसन अनेक रोगों तथा दुःखों का कारण है। (२६)
सर्व सत्संगींनी सर्व दुर्व्यसनांचा सदैव त्याग करावा. कारण व्यसन अनेक रोगांचे तसेच दुःखांचे कारण बनते. (26)
मांसं मत्स्यं
માંસં મત્સ્યં
Mānsam matsyam
સત્સંગી જનોએ
Satsangī janoe
Satsangis should never eat
सत्संगी जन मांस, मछली, अंडे तथा प्याज, लहसुन और हींग कदापि न खाएँ। (२९)
सत्संगी जनांनी कधीही मांस, मासे, अंडे तसेच कांदे, लसूण व हिंग खाऊ नये. (29)
चौर्यं न
ચૌર્યં ન
Chauryam na
સત્સંગીઓએ ચોરી
Satsangīoe chorī
Satsangis should never
सत्संगी जन चोरी कदापि न करें। धर्म के लिए भी कभी चोरी न करें। (३१)
सत्संगींनी चोरी कधीही करू नये. धर्मकार्यांसाठी सुद्धा कधीही चोरी करू नये. (31)
नैवाऽन्यस्वामिकं
નૈવાઽન્યસ્વામિકં
Naivā’nya-svāmikam
પુષ્પ, ફળો જેવી
Puṣhp, faḷo jevī
One should never take
पुष्प, फल आदि वस्तुएँ भी उनके स्वामी की अनुमति के बिना न लें। बिना अनुमति के वस्तु लेना सूक्ष्म चोरी कहलाती है। (३२)
फुले, फळे अशा वस्तू देखील धन्याच्या परवानगीशिवाय घेऊ नयेत. परवानगीशिवाय वस्तू घेणे ही सूक्ष्म चोरी म्हटली जाते. (32)
मनुष्याणां
મનુષ્યાણાં
Manuṣhyāṇām
ક્યારેય મનુષ્ય, પશુ,
Kyārey manuṣhya, pashu,
One should never kill
मनुष्य, पशु, पक्षी तथा खटमल आदि किसी भी जीवजंतु की हिंसा कदापि न करें। अहिंसा परम धर्म है, हिंसा अधर्म है; ऐसा श्रुति-स्मृति आदि शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है। (३३-३४)
कधीही मनुष्य, पशू, पक्षी तथा ढेकूण आदी कोणत्याही जीवजंतूंची हिंसा करू नये. अहिंसा परम धर्म आहे, हिंसा अधर्म आहे. असे श्रुती-स्मृत्यादी ग्रंथात स्पष्ट सांगितले आहे. (33-34)