Written Nirupan
गढ़डा प्रथम - ૩ गढ़डा प्रथम - ૫ गढ़डा प्रथम - ૬ गढ़डा प्रथम - ૯ गढ़डा प्रथम - ૧૬ गढ़डा प्रथम - ૨૦ गढ़डा प्रथम - ૨૧ गढ़डा प्रथम - ૨૨ गढ़डा प्रथम - ૨૩ गढ़डा अंत्य - ૨૪ गढ़डा प्रथम - ૨૭ गढ़डा प्रथम - ૨૮ गढ़डा प्रथम - ૩૧ गढ़डा प्रथम - ૩૭ गढ़डा प्रथम - ૩૯ गढ़डा प्रथम - ૪૭ गढ़डा प्रथम - ૫૦ गढ़डा प्रथम - ૫૪ गढ़डा प्रथम - ૫૫ गढ़डा प्रथम - ૫૬ गढ़डा प्रथम - ૬૨ गढ़डा प्रथम - ૬૩ गढ़डा प्रथम - ૬૭ गढ़डा प्रथम - ૬૮ गढ़डा प्रथम - ૭૦ गढ़डा प्रथम - ૭૧ गढ़डा प्रथम - ૭૬ सारंगपुर - ૧ सारंगपुर - ૪ सारंगपुर - ૫ सारंगपुर - ૭ सारंगपुर - ૧૦ सारंगपुर - ૧૧ सारंगपुर - ૧૪ सारंगपुर - ૧૬ सारंगपुर - ૧૮ कारियाणी - ૧ कारियाणी - ૮ कारियाणी - ૯ कारियाणी - ૧૦ कारियाणी - ૧૨ लोया - ૨ लोया - ૬ लोया - ૭ लोया - ૧૦ लोया - ૧૨ लोया - ૧૪ लोया - ૧૭ पंचाळा - ૧ पंचाळा - ૨ पंचाळा - ૩ पंचाळा - ૪ पंचाळा - ૭ गढ़डा मध्य - ૪ गढ़डा मध्य - ૫ गढ़डा मध्य - ૭ गढ़डा मध्य - ૮ गढ़डा मध्य - ૯ गढ़डा मध्य - ૧૧ गढ़डा मध्य - ૧૪ गढ़डा मध्य - ૧૫ गढ़डा मध्य - ૧૬ गढ़डा मध्य - ૨૦ गढ़डा मध्य - ૨૧ गढ़डा मध्य - ૨૨ गढ़डा मध्य - ૨૪ गढ़डा मध्य - ૨૮ गढ़डा मध्य - ૨૯ गढ़डा मध्य - ૩૦ गढ़डा मध्य - ૩૨ गढ़डा मध्य - ૩૩ गढ़डा मध्य - ૩૭ गढ़डा मध्य - ૩૮ गढ़डा मध्य - ૪૦ गढ़डा मध्य - ૪૧ गढ़डा मध्य - ૪૨ गढ़डा मध्य - ૪૫ गढ़डा मध्य - ૪૬ गढ़डा मध्य - ૪૮ गढ़डा मध्य - ૪૯ गढ़डा मध्य - ૫૧ गढ़डा मध्य - ૫૩ गढ़डा मध्य - ૫૪ गढ़डा मध्य - ૫૭ गढ़डा मध्य - ૫૯ गढ़डा मध्य - ૬૧ गढ़डा मध्य - ૬૨ गढ़डा मध्य - ૬૩ गढ़डा मध्य - ૬૭ वरताल - ૧ वरताल - ૩ वरताल - ૪ वरताल - ૫ वरताल - ૭ वरताल - ૧૦ वरताल - ૧૧ वरताल - ૧૨ वरताल - ૧૫ वरताल - ૧૬ वरताल - ૧૯ अहमदाबाद - ૨ गढ़डा अंत्य - ૧ गढ़डा अंत्य - ૨ गढ़डा अंत्य - ૭ गढ़डा अंत्य - ૮ गढ़डा अंत्य - ૯ गढ़डा अंत्य - ૧૧ गढ़डा अंत्य - ૧૩ गढ़डा अंत्य - ૧૫ गढ़डा अंत्य - ૧૬ गढ़डा अंत्य - ૧૭ गढ़डा अंत्य - ૧૮ गढ़डा अंत्य - ૨૧ गढ़डा अंत्य - ૨૫ गढ़डा अंत्य - ૩૦ गढ़डा अंत्य - ૩૧ गढ़डा अंत्य - ૩૭ गढ़डा अंत्य - ૩૮ गढ़डा अंत्य - ૩૯ असलाली - ૧વચનામૃત નિરૂપણ
ગઢડા પ્રથમ ૩
જુન, ૧૯૬૪. બીજે જ દિવસે સવારે ૮-૦૦ વાગે વ્યાખ્યાન મંદિરમાં ગ. પ્ર. ૩ વચનામૃત સમજાવતાં બોલ્યા, “હેત એટલે શું? મનુષ્યભાવ ન પરઠવો. દિવ્યભાવ – સંબંધનો મહિમા જાણવો. દેહની ક્રિયામાં તો અવગુણ આવી જાય; પણ ‘દિવ્ય છે’ એમ મહિમા જાણવો.”
[બ્રહ્મસ્વરૂપ યોગીજી મહારાજ: ૩/૬૪૯]