कीर्तन मुक्तावली

प्रार्थना

प्रार्थना - १: वंदन करते प्रभु भाव भरी

वंदन करते प्रभु भाव भरी,

स्वामिनारायण श्री सहजानंदजी... टेक

आप प्रभु हैं धाम के धामी,

बलवंता बहुनामि हरि... वंदन १

अनन्त जीव के मोक्ष के कारण,

अनादि अक्षर साथ लिए... वंदन २

पुरुषोत्तम प्रभु आप स्वयं ही,

मानव रूप में प्रगट भये... वंदन ३

स्वामी गुणातीत अनादि अक्षर,

पुरुषोत्तम सहजानंदजी... वंदन ४

यज्ञपुरुष में अखण्ड रह के,

उपासना शुद्ध प्रकट कीन्ही... वंदन ५

सेवामय जीवन हो अपना,

भक्तिमय हो हृदय हरि... वंदन ६

 

प्रार्थना - २: जय करुणाकर प्रगट हरिवर

जय करुणाकर प्रगट हरिवर, स्वामिनारायण भगवान वंदूँ...

विष्णु विरंचि शिव सनकादिक, निशदिन जिनका धरते ध्यान;

ऐसे अक्षरधाम के धामी... स्वामिनारायण॰

श्रुति स्मृति विधविध रूप से, निरूपण करके गाते गान;

ऐसे अक्षरधाम के धामी... स्वामिनारायण॰

धर्म-भक्ति से नरतनु धारी, प्रकट भए हैं कृपानिधान;

ऐसे अक्षरधाम के धामी... स्वामिनारायण॰

 

प्रार्थना - ३: भक्तिभाव से बोलो जय जय

भक्तिभाव से बोलो जय जय,

अक्षरपुरुषोत्तम जय जय...

शास्त्र सकल का सार परम है,

ब्रह्म और परब्रह्म जय जय... १

मूल अक्षर है ब्रह्म अनादि,

गुणातीतानंद जय जय... २

पुरुषोत्तम परब्रह्म परात्पर,

श्रीहरि सहजानंद जय जय... ३

भगतजी और यज्ञपुरुष में,

ज्ञानजीवनजी प्रमुखजी में,

प्रकट गुरुहरि महंतजी में,

विचरत भुवि भगवंत जय जय... ४

सेवा समर्पण धर्म-भक्ति से,

दृढ़ उपासना ऐक्यभाव से,

करेंगे श्रीजी को प्रसन्न जय जय... ५

 

प्रार्थना - ४: श्रीहरि जय जय जय जयकारी

श्रीहरि जय जय जय जयकारी... (२)

अक्षरधाम के धामी हो तुम,

पुरुषोत्तम परब्रह्म हरि तुम,

भक्तजनों के भवभयहारी... श्रीहरि

प्रकट गुरुहरि दर्शन दीजे,

तव भक्तन पर करुणा कीजे,

तव मूर्ति हो हृदयविहारी... श्रीहरि

सद्‌बुद्धि, सद्‌गुण प्रभु दीजै,

अभय हस्त मम सिर पर कीजै,

विघ्न सकल को सद्य विदारी... श्रीहरि

शास्त्रीजी महाराज के गुण नित गाऊँ,

योगीजी महाराज के गुण नित गाऊँ,

प्रमुख स्वामीजी के गुण नित गाऊँ,

महंत स्वामीजी के गुण नित गाऊँ,

तव चरणों में सीस नँवाऊँ,

आषिश वचनों दो आनंदकारी... श्रीहरि

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