कीर्तन मुक्तावली
नंदरायके संग बिराजत
1-238: सद्गुरु मुक्तानंद स्वामी
प्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक सुद ११)
पद - २
नंदरायके संग बिराजत, नंदरायके संग;
दीपदान दे हटरी बैठे, उरमें अधिक उमंग... ꠶टेक
कार्तिक शुक्ल एकादशीके दिन, सुंदर श्याम सुजान;
अपने हाथ मिठाई बाढत, करत अधिक सनमान... ꠶ १
मनमोहन के हाथ मिठाई, लेत सब ही जनजात;
गोपीजन एक टग द्रग जोरे, दरशन से न अधात... ꠶ २
एही विध लीला वृंदावनमें, करत है श्याम सुजान;
मुक्तानंद कहे एही मद मोहन, मेरे है जीवनप्रान... ꠶ ३
Nandrāyke sang birājat
1-238: Sadguru Muktanand Swami
Prabodhini Ekadashi (Kārtik sud 11)
Pad - 2
Nandrāyke sang birājat, Nandrāyke sang;
Dīpdān de haṭarī baiṭhe, urme adhik umang... °ṭek
Kārtik shukla Ekādashīke din, sundar Shyām sujān;
Apane hāth miṭhāī bāḍhat, karat adhik sanmān... ° 1
Manmohan ke hāth miṭhāī, let sab hī janjāt;
Gopījan ek ṭag drag jore, darashan se na adhāt... ° 2
Ehī vidh līlā Vṛundāvanme, karat hai Shyām sujān;
Muktānand kahe ehī mad Mohan, mere hai jīvanprān... ° 3