कीर्तन मुक्तावली
हैं प्रमुखस्वामी हमारे हरिरूप धरनेवाले
2-1111: साधु भक्तिप्रियदास
हैं प्रमुखस्वामी हमारे,
हरिरूप धरनेवाले...
कितना हि पापपुंज हो,
सबको जलानेवाले... हैं प्रमुख १
चमकिले नेत्रद्वयसे,
नाथनूर रखनेवाले... हैं प्रमुख २
प्रफुल्लित वदनकमलसे,
सदाय हँसनेवाले.. हैं प्रमुख ३
वाणी मधुर मृदुसे,
अज्ञान हरनेवाले... हैं प्रमुख ४
कर स्पर्श प्रेमयुतसे,
दूर तापको करनेवाले... हैं प्रमुख ५
चरणकमलके शरणसे,
जनिमृत्यु हटानेवाले... हैं प्रमुख ६
‘भक्ति’ श्रीजीप्रभुकी,
निशदिन करानेवाले... हैं प्रमुख ७
(लंडनथी एल.ए. जतां ‘BOAC’ना प्लेनमां बीझनेस क्लासमां ३६०००नी ऊंचाईए सांजे ५:०० (लंडन समय), ता. ११/७/१२, बुधवार)
ता. १०/७/१२ मंगळवारे रात्रे २:३० वागे जाग्यो त्यारे सहज प्रथम बे पंक्ति स्फूरेल ते २:४५ वागे जागी कागळमां डीम लाईटमां लखेल. फरी ३:०० वागे त्रीजी पंक्ति स्फूरेल ते उठीने लखी लीधेल. बाकीनी ५ पंक्ति प्लेनमां लखेल.
हैं प्रमुखस्वामी हमारे,
हरिरूप धरनेवाले...
कितना हि पापपुंज हो,
सबको जलानेवाले... हैं प्रमुख १
चमकिले नेत्रद्वयसे,
नाथनूर रखनेवाले... हैं प्रमुख २
प्रफुल्लित वदनकमलसे,
सदाय हँसनेवाले... हैं प्रमुख ३
वाणी मधुर मृदुसे,
अज्ञान हरनेवाले... हैं प्रमुख ४
कर स्पर्श प्रेमयुतसे,
दूर तापको करनेवाले... हैं प्रमुख ५
चरणकमलके शरणसे,
जनिमृत्यु हटानेवाले... हैं प्रमुख ६
‘भक्ति’ श्रीजीप्रभुकी,
निशदिन करानेवाले... हैं प्रमुख ७
Hai Pramukh Swāmī hamāre Harirūp dharanevāle
2-1111: Sadhu Bhaktipriyadas
Hai Pramukh Swāmī hamāre,
Harirūp dharanevāle...
Kitanā hi pāp-punja ho,
Sabako jalānevāle... Hai Pramukh 1
Chamakile netradvayase,
Nāth-nūr rakhanevāle... Hai Pramukh 2
Prafullit vadan-kamalase,
Sadāya hasanevāle.. Hai Pramukh 3
Vāṇī madhur mṛuduse,
Agnyān haranevāle... Hai Pramukh 4
Kar sparsha premayutase,
Dūr tāpako karanevāle... Hai Pramukh 5
Charaṇ-kamalake sharaṇase,
Janimṛutyu haṭānevāle... Hai Pramukh 6
‘Bhakti’ Shrījī Prabhukī,
Nishadin karānevāle... Hai Pramukh 7
(Traveling from Lonon to Los Angeles in BOAC airplane, height of 36,000 ft.; 5:30 pm (London time), Wednesday, July 11, 2012.)
At 2:30 am, July 10, 2012, I woke up and the first two stanzas sprang in my mind and I wrote them down on paper in the dim light at 2:45 am. At 3:00 am, I awoke again and wrote the third stanza that sprang. The rest of the 5 stanzas were completed in the airplane.