कीर्तन मुक्तावली
सुंदर छबि आज की कही नव जाई
1-355: सद्गुरु प्रेमानंद स्वामी
सुंदर छबि आज की कही नव जाई... ꠶टेक
कहा कहुं छबि मदन मोहनकी, निरखी काम सकुचाई... १
अंग अंग प्रति अमित सुभगता, प्रगट भई है आई... २
रूप छटा निरखी नटवरकी, जन मन चित्त लोभाई... ३
प्रेमानंद घनश्याम मूरति, रहो मोरे उर में समाई... ४
Sundar chhabi āj kī kahī nav jāī
1-355: Sadguru Premanand Swami
Sundar chhabi āj kī kahī nav jāī... °ṭek
Kahā kahu chhabi madan Mohankī, nirakhī kām sakuchāī... 1
Ang ang prati amit subhagtā, pragaṭ bhaī hai āī... 2
Rūp chhaṭā nirakhī Naṭvarkī, jan man chitta lobhāī... 3
Premānand Ghanshyām mūrati, raho more ur me samāī... 4