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कीर्तन मुक्तावली

मेरे अच्छे भगवान दे दे ऐसा वरदान

2-240: साधु अक्षरजीवनदास

मेरे अच्छे भगवान, दे दे ऐसा वरदान... ꠶टेक

सृष्टि के इस तेरे बाग में, पुष्पो की हम शान;

जीवनभर सौरभ फैलाकर, गाये तव गुनगान... मेरे꠶ १

मातपिता और गुरुजी को हम, पूजे देव समान;

विश्व बंधुता मानवसेवा, सबसे हो मुस्कान... मेरे꠶ २

बोले मुंह शुभ, देखे नैन शुभ, और सुने शुभ कान;

पैर हमारे ठहरे मंदिर, संत समागम स्थान... मेरे꠶ ३

दिग् दिगंत है तेरी महिमा, मुखरित हिन्दुस्तान;

अकसर हम को ले ले गोद में, हम तेरी संतान... मेरे꠶ ४

Mere achchhe Bhagwān de de aisā vardān

2-240: Sadhu Aksharjivandas

Mere achchhe Bhagwān, de de aisā vardān...

Srushti ke es tere bāg me, pushpo kī ham shān;

 Jīvanbhar saurbh failākar, gāye tav gungān... mere 1

Mātpitā aur gurujī ko ham, puje dev samān;

 Vishva bandhuta mānavsevā, sabse ho muskān... mere 2

Bole muh shubh, dekhe nain shubh, aur sune shubh kān;

 Pair hamāre ṭhahare mandir, sant samāgam sthān... mere 3

Dig digant hai terī mahimā, mukhrit Hindustān;

 Akshar ham ko le le god me, ham terī santān... mere 4

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