कीर्तन मुक्तावली
हरि मिले बोरसलीकी छैयां
2-98: आचार्य अयोध्याप्रसादजी महाराज
हरि मिले बोरसलीकी छैयां... ꠶टेक
मैं ज्युं गईती जल भरने कुं, हसी बोलाई मोरे सैयां ꠶ १
श्वेत पाघ शिर सोहत सुंदर, फूलतोरा लटकैयां ꠶ २
केसर तिलक भाल बीच निरखी, लपकी परी पैयां ꠶ ३
अवधप्रसाद कहे मन हर लीनो, सहजानंद सुखदैयां ꠶ ४
Hari mile boraslīkī chhaiyā
2-98: Acharya Ayodhyaprasadji Maharaj
Hari mile boraslīkī chhaiyā... °ṭek
Mai jyu gaītī jal bharne ku, hasī bolāī more saiyā ° 1
Shvet pāgh shir sohat sundar, fūltorā laṭkaiyā ° 2
Kesar tilak bhāl bīch nirakhī, lapkī parī paiyā ° 3
Avadhprasād kahe man har līno, Sahajānand sukhdaiyā ° 4