कीर्तन मुक्तावली
हमारे धन सर्वस्व सहजानंद
2-96: सद्गुरु मुक्तानंद स्वामी
हमारे धन सर्वस्व सहजानंद
हो सर्वस्व सहजानंद... ꠶टेक
सहजानंद वदन शोभा पर
बारुं कोटिक काम... हमारे꠶ १
एही बिन त्रिभुवन की सुख संपत
हमकुं सबही हराम... हमारे꠶ २
अब नहि जगत जाल जूठे सुख
उरमें कर ही आराम... हमारे꠶ ३
मुक्तानंद प्यास प्रीतमसे
और सकलसे अकाम... हमारे꠶ ४
Hamāre dhan sarvasva Sahajānand
2-96: Sadguru Muktanand Swami
Hamāre dhan sarvasva Sahajānand,
Ho sarvasva Sahajānand...
Sahajānand vadan shobhā par,
Bāru koṭik kām... hamāre 1
Ehī bin tribhuvan kī sukh sampat,
Hamku sabahī harām... hamāre 2
Ab nahi jagat jāl jūṭhe sukh,
Urme kar hī ārām... hamāre 3
Muktānand pyās prītamse,
Aur sakalse akām... hamāre 4