कीर्तन मुक्तावली
मैं देखी छबि सांवरी
1-382: सद्गुरु प्रेमानंद स्वामी
मैं देखी छबि सांवरी,
स्वपनेमें देखी सांवरी सूरत,
लटक लटक चाल चलत उतावरी... मैं देखी꠶ टेक
लाल सुरवाल पे’रे लाल अंगरखी,
कमर कसी है लाल रेंटे पग पावरी... मैं देखी꠶ १
श्वेत पाघ शिर सोहत सुंदर,
चितवनी चंचल मन ललचावरी... मैं देखी꠶ २
प्रेमानंद घनश्याम छबि पर,
तन मन प्रान ले करत न्योछावरी... मैं देखी꠶ ३
Mai dekhī chhabi sāvarī
1-382: Sadguru Premanand Swami
Mai dekhī chhabi sāvarī,
Swapneme dekhī sāvarī sūrat,
Laṭak laṭak chāl chalat utāvarī...
Lāl sūrvāl pe’re lāl angarkhī,
Kamar kasī hai lāl renṭe pag pāvarī... mai dekhī 1
Shvet pāgh shir sohat sundar,
Chitvanī chanchal man lalchāvarī... mai dekhī 2
Premānand Ghanshyām chhabi par,
Tan man prān le karat nyochhāvarī... mai dekhī 3