कीर्तन मुक्तावली
अब सौंप दिया ईस जीवनका
अब सौंप दिया ईस जीवनका,
सब भार तुम्हारे हाथोंमें;
है जीत तुम्हारे हाथोंमें,
और हार तुम्हारे हाथोंमें... ꠶टेक
मेरा निश्चय है बस एक यही,
ईक बार तुम्हे पा जाउं मैं;
अर्पण कर दूं दुनिया भरका,
सब प्यार तुम्हारे हाथोंमें... १
जो जगमें रहुं तो ऐसे रहुं,
ज्यों जलमें कमलका फूल रहे;
मेरे सब गुणदोष समर्पित हो,
भगवान तुम्हारे हाथोंमें... २
यदि मानवका मुझे जन्म मिले,
तो तव चरणों का पूजारी बनुं;
ईस पूजककी इक रग रग का,
हो तार तुम्हारे हाथोंमें... ३
जब जब संसार का कैदी बनुं,
निष्कामभावसे कर्म करुं;
फिर अंत समयमें प्राण तजुं,
साकार तुम्हारे हाथोंमें... ४
मुजमें तुजमें बस भेद यही,
मैं नर हूं तुम नारायण हो;
मैं हूं संसार के हाथोंमें,
संसार तुम्हारे हाथोंमें... ५
Ab saup diyā īs jīvankā
Ab saup diyā īs jīvankā,
Sab bhār tumhāre hāthome;
Hai jīt tumhāre hāthome,
Aur hār tumhāre hāthome... °ṭek
Merā nishchay hai bas ek yahī,
Īk bār tumhe pā jāu mai;
Arpaṇ kar dū duniyā bharkā,
Sab pyār tumhāre hāthome... 1
Jo jagme rahu to aise rahu,
Jyo jalme kamalkā fūl rahe;
Mere sab guṇdoṣh samarpit ho,
Bhagwān tumhāre hāthome... 2
Yadi mānavkā muze janma mile,
To tav charaṇo kā pūjārī banu;
Īs pūjakkī ik rag rag kā,
Ho tār tumhāre hāthome... 3
Jab jab sansār kā kaidī banu,
Niṣhkāmbhāvse karma karu;
Fir ant samayme prāṇ taju,
Sākār tumhāre hāthome... 4
Mujme tujme bas bhed yahī,
Mai nar hū tum Nārāyaṇ ho;
Mai hū sansār ke hāthome,
Sansār tumhāre hāthome... 5