कीर्तन मुक्तावली
सुनोजी गिरधारी अरज है हमारी
2-94: सद्गुरु मुक्तानंद स्वामी
सुनोजी गिरधारी, अरज है हमारी, मैं शरन तुम्हारी... ꠶टेक
चरन समीप रहूँ मैं निशदिन, ज्युं भ्रखुभान कुमारी... मैं शरन꠶ १
तुम संग प्रेम में बिघन परे तो, नाथजी दीजे निवारी... मैं शरन꠶ २
प्रीत प्रतीत रहो तुम जन में, कबहु टरे नहीं टारी... मैं शरन꠶ ३
मुक्तानंद कर जोर के मागत, दीजिये देव मुरारी... मैं शरन꠶ ४
Sunojī Girdhārī araj hai hamārī
2-94: Sadguru Muktanand Swami
Sunojī Girdhārī, araj hai hamārī, mai sharan tumhārī... °ṭek
Charan samīp rahū mai nishdin, jyu bhrakhubhān kumārī... Mai sharan° 1
Tum sang prem me bighan pare to, Nāthjī dīje nivārī... Mai sharan° 2
Prīt pratīt raho tum jan me, kabahu ṭare nahī ṭārī... Mai sharan° 3
Muktānand kar jor ke māgat, dījiye dev Murārī... Mai sharan° 4