कीर्तन मुक्तावली
धूनमें उसीके रहुं मैं मगन
1-889: मीरांबाई
धूनमें उसीके रहुं मैं मगन;
श्यामसे मोरी लागी रे लगन... ꠶टेक
द्वार से लौटा कोई न खाली, हर विपदा को तुमने टाली;
सुनलो हमरी हे भगवान... श्यामसे मोरी... १
प्रेम की तुमने ज्योत जलाई, सांवरी सूरत मनमें समाई;
आन पडी हुं तुम्हरे शरन... श्यामसे मोरी... २
मीरां के’ प्रभु दरस दिखाओ, दुःख दरिद्र सब हमरे मिटाओ;
दूर करो मेरी मनकी अगन... श्यामसे मोरी... ३
Dhūnme usīke rahu mai magan
1-889: Meerabai
Dhūnme usīke rahu man magan;
Shyāmse morī lāgī re lagan... °ṭek
Dvār se lauṭā koī na khālī, har vipadā ko tumne ṭālī;
Sunalo hamarī he Bhagwān... Shyāmse morī... 1
Prem kī tumne jyot jalāī, sāvarī sūrat manme samāī;
Ān paḍī hu tumhare sharan... Shyāmse morī... 2
Mīrā ke Prabhu daras dikhāo, dukh daridra sab hamare miṭāo;
Dūr karo merī mankī agan... Shyāmse morī... 3